रात अकेली है: मर्डर मिस्ट्री में प्रेम को बेवजह थोपने की कोशिश
बॉलीवुड वालों का मोह प्रेम से कभी भंग नहीं हो पाता. मर्डर मिस्ट्री भी दिखाएंगे तो उसमें प्रेम को बिना वजह दर्शकों पर थोपने की कोशिश करेंगे. नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी और राधिका आप्टे की फिल्म रात अकेली है इसी का उदाहरण है. फिल्म में शुरुआत में ही पता चल जाता है कि फिल्म का निर्देशक आपको क्या दिखाना चाहता है. मर्डर मिस्ट्री कहीं पीछे छूट जाती है, प्रेम पूरी फिल्म पर प्रगाढ़ होता नज़र आता है. हत्या की जांच भी इस तरह से दिखाई गई है, जो सिर्फ़ नवाज़ ही समझते हैं और एक नतीजे पर पहुंचते हैं कि हत्यारा कौन है. आख़िर में वो प्रवचन टाइप बता देते हैं कि कौन हत्यारा है. हालांकि फिल्म के कलाकारों की अभिनय के लिए तारीफ़ की जा सकती है, लेकिन कहानी कमज़ोर हो तो इस तरफ़ ध्यान भी नहीं जाता. मैं एक बार फिर कहना चाहूंगा कि अपराध आधारित कोई फिल्म बनाने से पहले क्राइम पेट्रोल के पुराने एपिसोड होम वर्क के तौर पर देखने चाहिए. अभी तो क्राइम पेट्रोल के साइकिल की चेन भी उतर चुकी है और उसकी टीम पता नहीं क्यों बेवजह पैडल मारे जा रही है. क्राइम पेट्रोल में भी अपराध के साथ प्रेम दिखाते थे, लेकिन प्रेम कभी अपराध की जांच पर हावी नह...